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बुधवार, 27 अप्रैल 2022

रोटी और अचार से

हमने सोना शुरू कर दिया, छत पर इस इतवार से।
चार पड़ोसी भड़क गए हैं, अपने इस व्यवहार से।।1।।
अभी दूर की नजर हमारी इतनी ज्यादा तेज है।
मीलों भर से जान सकें हम काँपे कौन बुखार से।।2।।
बाजारों से बच कर रहना, महाजनों के जाल ये।
बड़े बड़ों की हस्ती मिट गई, उबरे नहीं उधार से।।3।।
जो गुलाब से दमक रहे हैं, क्या बकरे सब स्वस्थ हैं?
इनमें से बहुतेरे रोगी, हैं डॉक्टर की मार से।।4।।
लाउडस्पीकर जब से उतरा, मन्दिर की प्राचीर से,
अपना झगड़ा सब सुनते हैं, टिकट लिए तैयार से।।5।।
इतना मीठा नहीं खिलाओ, मित्र पड़ूँ बीमार मैं।
मन की तृप्ति 'विमल' को मिलती, रोटी और अचार से।।6।।

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