०५/१२/१९९७ अमर उजाला कानपुर
फ़ट गया टायर जमाना हँस दिया।
रो पड़ा मैं पर जमाना हँस दिया।
जब हँसी को ओढ़कर रोने लगा,
कह मुझे कायर जमाना हँस दिया।
हाथ अँगारा लगा चीखी हलक,
स्वाँग है कहकर जमाना हँस दिया।
धार में बहना नहीं स्वीकार था,
इसलिये फिरकर जमाना हँस दिया।
जग हँसे परवाह क्यों करता ’विमल’
जो मिला उसपर जमाना हँस दिया।
फ़ट गया टायर जमाना हँस दिया।
रो पड़ा मैं पर जमाना हँस दिया।
जब हँसी को ओढ़कर रोने लगा,
कह मुझे कायर जमाना हँस दिया।
हाथ अँगारा लगा चीखी हलक,
स्वाँग है कहकर जमाना हँस दिया।
धार में बहना नहीं स्वीकार था,
इसलिये फिरकर जमाना हँस दिया।
जग हँसे परवाह क्यों करता ’विमल’
जो मिला उसपर जमाना हँस दिया।
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