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शुक्रवार, 26 मार्च 2021

कोरोना का प्रभाव

समस्त प्राइवेट विद्यालय संचालकों, प्राइवेट अध्यापकों व समस्त अभिभावकों जिनके आश्रितों की शिक्षा इस कोरोना काल में प्रभावित हुई है, उनसे इस क्षुब्ध, व्यथित व करुण हृदय के ब्राह्मण की करबद्ध प्रार्थना है कि कुछ प्रश्नों पर विचार करें और तानाशाही व विवेकहीनता को समय रहते लोकतांत्रिक ढँग से जवाब दें।
1- केवल 40 कोरोना मरीज और सम्पूर्ण देश में लॉक डाउन।
2 - लॉक डाउन लगा रहा और मरीज बढ़ते रहे।
3 - कोरोना से मरने वालों की संख्या क्या किसी एक अन्य वजह से मरने वाले मरीजों से ज्यादा थी क्या?
4 - जब लॉक डाउन खुला तो सबसे पहले शराब ठेके खुले, कितना जरूरी था इनका खुलना?
5 - धीरे धीरे सब खुला नहीं खुले तो सिर्फ स्कूल। क्या बन्द रहे स्कूल कोरोना के फैलाव के लिए उत्तरदायी हैं?
6 - पुनः स्कूल बंद करने से या किसी प्रकार का लॉक डाउन लगाने से कोरोना पहले घटा या अब घटेगा?
7 - स्कूलों के बन्द रहने से आपके बच्चों पर क्या असर पड़ा और यदि भविष्य में स्कूल बन्द रहे तो क्या प्रभाव पड़ेगा?
8 - स्कूलों के अलावा क्या - क्या बन्द होगा? 
9 - क्या कोरोना के प्रसार काल में किसी प्रकार की राजनीतिक गतिविधियों में कोई कमी आयी या राजनीतिक गतिविधियों से कोरोना फैलता ही नहीं है?
मित्रों मैं जवाब नहीं दूँगा। जवाब आपके पास है मैं सिर्फ निवेदन कर सकता हूँ आपसे। अब सरकार से नाउम्मीद हूँ इसलिए आपके दरबार में हूँ। बन्धुओं समस्त विद्यालय संचालकों, अध्यापकों व अभिभावकों से मेरा निवेदन है कि यदि 1 अप्रैल को स्कूल बन्द रहे और चुनावी गतिविधियाँ जारी रहें तो निश्चित रूप से यह समझें कि प्रदेश के सत्ताशीन आपके प्रति संवेदनाशून्य हैं और कोरोना के नाम पर गोरखधंधा चला रहे हैं।  इसलिए मेरा करबद्ध निवेदन है कि पंचायत चुनाव में समस्त बीजेपी प्रत्याशियों के बहिष्कार करें भले ही अपना मत कूड़ेदान में डाल दें। शेष आपकी मर्जी लोकतंत्र है सबको अपना निर्णय लेने का अधिकार है। इस पोस्ट को कम से कम मेरी तरह के वे संचालक व अध्यापक अवश्य शेयर करें जिनके पास खोने के लिए अब कुछ भी नहीं बचा है।

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