इस ब्लॉग के अन्य पृष्ठ

कक्षा के अनुसार देखें

मंगलवार, 23 मार्च 2021

फटी हुई जीन्स

फटी हुई जीन्स की आलोचना न करें बन्धु,
हो सके तो सही वेशभूषा को सम्मान दें।
कुतियों के भौंकने पर कान बन्धु देते क्यों,
कोयलों के गुणगान वाला आसमान दें।
कोयले के नाम से काली छवि बने मन,
मन को तो क्षीरसिन्धु का ही ज्ञान-ध्यान दें।
भृष्ट-जन-चिंतन से भृष्टता ही आती तन,
मन में न राम यदि रमा को स्थान दें।।


कृपया पोस्ट पर कमेन्ट करके अवश्य प्रोत्साहित करें|

12 टिप्‍पणियां:

  1. वाह! बहुत सुंदर संदेश। किन्तु, टिप्पणियों के प्रकाशन की पूर्व मंजूरी का यह टोटका हटाएं। तब प्रशंसक अधिक संख्या में अपनी अभिव्यक्ति देंगे।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हार्दिक आभार बन्धु। टिप्पणी के लिए प्रकाशन मंजूरी जैसा तो मेरे ब्लॉग पर कुछ भी नहीं है। कोई भी टिप्पणी सीधे ही प्रकाशित हो जाती है।

      हटाएं
  2. होली के अवसर पर सुन्दर प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह! बहुत ही बढ़िया सर।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हार्दिक आभार बहन, होलिकोत्सव की शुभकामनाएं

      हटाएं