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गुरुवार, 18 फ़रवरी 2021

का जानइं जइ चेले


गुरू बनन की खातिर हमने कितने पापड़ बेले 
हमरे कन्धे चढ़ि के आये झेले नाइंं झमेले।
जहु सबु का जानइंं जइ चेले।
धक्का मुक्की कितनी झेली कितने महल गिराये।
कितने चरण पखारे हमने, कितने शीश हराये।
आजु करोड़न हैं झोली मा, कबहुँ नाहिं थे धेले।
जहु सबु का जानइंं जइ चेले।
जिन चेलन आकाशु तको हइ देखीं नाहिं जमीनेंं।
कामुधामु कछु जानैं नाहीं, बनते बड़े कमीनेंं।
बातन केर बताशे फोड़इंं दिखते फिरइंं करेले।
जहु सबु का जानइंं जइ चेले।

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