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गुरुवार, 7 मई 2020

बुद्ध

तलवारों का जोर पराजित होता है,
वह क्षण ही अविलम्ब तथागत होता है।
घृणा पिघलकर जहाँ प्रेम की छवि ले ले,
वहीं बुद्ध का वन्दन स्वागत होता है।
आतताइयों के युग निश्चय बीत रहे,
शान्ति और सद्भाव समादृत होता है।
तमस गहन हो चाहे जितना इतना तय,
ज्योतिपुंज-जागे तम आहत होता है।
अरे! बुद्ध पथ तजकर चलने वाले जन,
बता कहाँ आतंक प्रशंसित होता है।

9198907871
 

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