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सोमवार, 11 मार्च 2019

धार धर लो

11/03/2019
वोट है तलवार इस पर धार धर लो।
और अपने आप पर उपकार कर लो।।
देश उन्नायक चयन का समय है ये।
जोकरों खलनायकों का मान हर लो।।
तुम मदारी हो जमूरे सामने हैं।
एक निर्णय पंचसाला खेल कर लो।।
लोकतंत्री नाव की पतवार कर में।
ले चलो तट या कि फिर मझधार मर लो।।
जब बटन पर उँगलियाँ हों तो ठहरकर।
दस शतक की दासता को याद कर लो।।
देश का आँचल जो श्यामल हो गया है।
अब समय घर, वसन, तन, मन 'विमल’ कर लो।।


कृपया पोस्ट पर कमेन्ट करके अवश्य प्रोत्साहित करें|

4 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (13-03-2019) को "सवाल हरगिज न उठायें" (चर्चा अंक-3273) (चर्चा अंक-3211) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. सुंदर प्रस्तुति। मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
    iwillrocknow.com

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