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मंगलवार, 30 जनवरी 2018

बारात

जब कभी भी इस तरफ बारात आती है,
तब नजर के सामने इक रात आती है,
बस जरा से फासले पर कैद बाहों में,
धड़कनों पर धड़कनों की याद आती है|





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गुरुवार, 25 जनवरी 2018

सत्य



आँख, नाक, कान, जीभ, त्वचा से जो जाना जाए,
वही सत्य होता नहीं मित्र जान लीजिये।
अंतर में ईश के प्रकाश प्रेरणा से मित्र,
कभी कभी खिले ये प्रसून मान लीजिये।
गूलर का फूल तो दिखाई नहीं देता किन्तु,
बीज से ही वृक्ष होने का प्रमाण लीजिये।
संतों की वाणी में विवाद ढूंढ़ने से पूर्व,
झाँक मित्र कभी निज गिरेबान लीजिये।।
 




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सोमवार, 15 जनवरी 2018

लोकतंत्र खतरे में


तुम रस्सी के उधर रहो, मैं रहूँ प्रिये उस ओर|
लोकतंत्र खतरे में पड़ गया, यही मचायें शोर|
लेखक या साहित्यकार बन, लौटा दें ईनाम|
या फिर जज बन कांफ्रेंस करें, पलटा दें हम्माम|


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शनिवार, 13 जनवरी 2018

अभिमन्यु



अर्जुन होना जीवन रण में नहीं बहुत आसान|
कृष्ण सारथी होंगे जिसके जिये वही मैदान|
जीवन के हर चक्रव्यूह का मैं ही द्रोणाचार्य|
निज वध को अभिमन्यु बनूं मैं इतना भी अनिवार्य|
उर में बचकानापन हावी बुद्धि अधूरा ज्ञान|
उतर पड़ा हूँ महासमर में क्या राखे भगवान?
 





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प्रिये

मत बिस्तर अभी उघाड़ प्रिये, 
हैं काँप रहे सब हाड़ प्रिये|
इतना मत खोल किवाड़ प्रिये, 
है शीती रही दहाड़ प्रिये|
वो देखो पेड़ों की चोटी, 
कुहरे का खड़ा पहाड़ प्रिये|
ये ओला भरी रजाई है, 
या गारे भरा तगाड़ प्रिये|
जो फर्श बर्फ की सिल्ली है, 
इसका कुछ करो जुगाड़ प्रिये|
थोड़ी सी आग जला दो तुम, 
इतना तो कर दो लाड़ प्रिये|





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शुक्रवार, 12 जनवरी 2018

विक्रमशिला



यह स्थान बिहार के भागलपुर जिले में स्थित था| यहाँ गंगा नदी के किनारे एक विख्यात महाविहार था जिसकी स्थापना पाल शासक धर्मपाल ने की थी| 11वीं शताब्दी में यह महाविहार एक विश्वविद्यालय के रूप में विकसित हो गया| प्रसिद्ध विद्वान आतिश दीपंकर ने यहाँ शिक्षा ग्रहण की थी| 13वीं शताब्दी में बख्तियार खिलजी ने इस महाविहार को नष्ट कर दिया|   




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नवद्वीप या नदिया



यह स्थल मध्यकाल में बंगाल की राजधानी रहा है| 1204-05 में मुहम्मद गोरी के सिपहसालार इख्तियारुद्दीन-बिन-बख्तियार खिलजी ने जब बंगाल की राजधानी नदिया में प्रवेश किया तो यहाँ का शासक लक्ष्मणसेन भाग खड़ा हुआ| 1485 में यहीं चैतन्य महाप्रभु का जन्म हुआ था, जो कि प्रसिद्ध कृष्णभक्त थे| यह स्थान न्यायशास्त्र के अध्ययन का प्रमुख केंद्र था| 





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नगर


वर्तमान में राजस्थान टोंक जिला माना जाता है महाभारतकालीन कार्कोट नगर है| यहाँ से दूसरी व तीसरी शताब्दी के ब्राह्मी लिपि में अंकित “मालवानामजयः” नाम से एक लेख मिला है| यहाँ से आहत एवं गोल तथा चौकोर मालव सिक्के मिले हैं| 



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