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सोमवार, 9 सितंबर 2013

लोकतन्त्र बनाम चोरतन्त्र

अब्राहम लिंकन ने कहा था "लोकतन्त्र जनता का, जनता के लिए, जनता के द्वारा शासन है।"
काश वह जीवित होते और भारत की वर्तमान मनमोहन सिंह सरकार को देखते तो यही कहते लोकतन्त्र चोरों की ,चोरों के लिए, चोरों के द्वारा सरकार है।
मुझे ताज्जुब नहीं होता की किस तरह से घोटाले दर घोटाले होते हैं, अर्थव्यवस्था लडखडाती है, पड़ोसी आँख दिखाते हैं, संसद हंगामे की भेंट चढ़ जाती है और सरकार कामचलाऊ रवैया अपनाते हुए जैसे दीन दुनिया से बेपरवाह अपना टाइम पास करती जा रही है। यह देखकर बड़ी निराशा होती है कि दागियों को संसद में बनाये रखने और उन्हें संसद में अधिक संख्या में पहुँचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का निर्णय पलटने के लिए पक्ष और विपक्ष सभी एकजुट हो जाते हैं। न तो विधेयक लाकर सदन में पास होने में देर लगती है और न अध्यादेश जरी करने में किन्तु यदि लोकहित का कोई मामला आ पड़े तो बड़ी हीला-हवाली होती है। आज भी संसद में अनेक विधेयक चर्चा और पास होने का इंतजार कर रहे हैं। 
यह सब देखकर तो यही लगता है की सत्ता हो विपक्ष चोरों की मौज है।

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