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शनिवार, 29 अक्टूबर 2011

मोबाइल


मोबाइल भी क्या अजब गजब चीज आ गई।
जिन्दगी का चैनो सुकूँ शान्ति खा गई।
दो से छ्त्तीस हो गए बिस्तर पे हम दोनों।
फोन उनके हाथ में था काल आ गई।
काल आ गई तो साली काल आ गई।
तीन दिन से मेरा रोटी दाल खा गई।
छोटी साली घर पे मोबाइल की चिपकू आ गई।
हफ्ते भर की आय के रिचार्ज खा गई।
गुमनाम नम्बर से कोई करता है परेशान।
पूछता है बाबू जी फाईल कहाँ गई।
मिसकाल आधी रात को करता है वेवजह।
पूछ्ता है ट्रेन किस नम्बर पे आ गई।
बात पन्डित से करो मैसेज मिला मुझे।
काल छः मिनट कि छत्तीस चबा गई।
लोग मोबाइल पे क्या क्या बेचते हैं आजकल।
स्वास्थ्य, बीमा, कार, भूमि, यन्त्र जादुई।

आदमी की औकाति
पपुआइनि गुर्रानीं पप्पू मिमियाने,
आदमी की औकाति उनसे हम जाने।
पप्पू जो बोलैं वह जाइ रही थाने,
घरेलू हिंसा दहेज उत्पीड़न सैकड़ों बहाने।

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