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बुधवार, 5 जुलाई 2023

बारिश हो तो

मेरी टीन तुम्हारा छप्पर,
बारिश हो...तो...किसी एक पर?
छत भीगे या आँगन भीगे,
भीगे खेत महावन भीगे,
बचपन भीग बुढ़ापा भीगे,
या मस्ताना यौवन भीगे,
मेरी कार तुम्हारा ट्रैक्टर,
बारिश हो...तो...किसी एक पर?
धरती भीगे अम्बर भीगे,
सच भीगे आडम्बर भीगे,
जीवन मृत्यु मुक्ति भव भीगे,
भीगे जून दिसम्बर भीगे।
मेरा घाव तुम्हारा नश्तर।
बारिश हो...तो... किसी एक पर?
बिस्तर खटिया चद्दर भीगे,
रेशम भीगे खद्दर भीगे,
सुख-दुख शान्ति शोरगुल भीगे,
भीगे करम मुकद्दर भीगे।
मेरी गागर तेरा सागर।
बारिश हो...तो... किसी एक पर?
तृषित मरुस्थल कण-कण भीगे,
तपित विरहिणी क्षण-क्षण भीगे,
रोम-रोम रसमय हो भीगे,
अंकुर -अंकुर तृण-तृण भीगे।
मेरा फूल तुम्हारा पत्थर।
बारिश हो...तो... किसी एक पर?

मंगलवार, 4 जुलाई 2023

अबला-सबला

पलकों पर लाज का भार धरे धरती धँसे नैन कथा रचते।
हिय में जब नेह की ज्योति जले तब संशय रंच नहीं बचते।
अभिमान श्रृंगार का व्यर्थ प्रिये! उपमा-उपमान कहाँ जँचते?
जब प्रेम-प्रसून प्रसारें सुगन्ध सदा तब मन्मथ आ मचते।।1।।

अलकावलि अबला की सबला बलवान हुई उर आहत है।
गजरे के सुकोमल पुष्प छिपा अनुभूत करे कुछ राहत है।
यह नैन शरों क्षतविक्षत है पर सोंच यही कि अनाहत है।
लगे नागिन-वृन्द ये केश समूह न चिंत यहीं रहे चाहत है।।2।।