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शनिवार, 4 जून 2022

रखवाला

अपना तो हर काम निराला होता है।
जब आँखें हों बन्द उजाला होता है।।
घर खाली है इतने भ्रम में मत रहना,
प्रायः मेन गेट पर ताला होता है।।
जो भी जाति नहीं लड़ पाती अपना रण।
उसका लिखा पढ़ा सब काला होता है।।
अपने तन मन में लड़ने का जोश न हो।
साथ न कोई देनेवाला होता है।।
यदि वैरी का शीष काटना ठन जाए।
हाथ खड्ग उर मध्य शिवाला होता है।।
घर को छोड़ भागते फिरने वालों का,
कहीं नहीं कोई रखवाला होता है।।

13 टिप्‍पणियां:

  1. यदि वैरी का शीष काटना ठन जाए।
    हाथ खड्ग उर मध्य शिवाला होता है।।
    क्या बात है विमल जी।वहुत ही अच्छे लिखे आपने सभी बंध 👌👌🙏

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  2. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार(६-०६-२०२२ ) को
    'समय, तपिश और यह दिवस'(चर्चा अंक- ४४५३)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  3. बहुत सुंदर,वाह वाह

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  4. सुंदर दुनिया है आपकी

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  5. बहुत सुन्दर सृजन ।

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