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गुरुवार, 15 अप्रैल 2021

सपना मुंगेरीलाल का

तिश्नगी है उम्र की चिन्ता न कोई रिस्क की।
पाठशाला खोल दी ट्रेनिंग मिलेगी इश्क की।।
प्रिंसिपल का पद सुरक्षित है उसी के वास्ते,
डर कोरोना का नहीं या फिर जरूरत विक्स की।।
ऑनलाइन क्लास तो सपना मुँगेरीलाल का,
अपने बच्चों की जगह हमने तबेला फिक्स की।।
छोड़ दूँ घरबार मैं इतना निकम्मा हूँ नहीं,
इतना कर्मठ भी नहीं एक्टिंग करूँ फकीर की।।
चाँद-मंगल की समस्या हमने सुलझाईं बहुत,
खाज जाती ही नहीं है मित्र कोहनी तीर की।।

8 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर और सार्थक ।
    --
    ऐसे लेखन से क्या लाभ? जिस पर टिप्पणियाँ न आये।
    ब्लॉग लेखन के साथ दूसरे लोंगों के ब्लॉगों पर भी टिप्पणी कीजिए।
    तभी तो आपकी पोस्ट पर भी लोग आयेंगे।

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  2. बहुत सुन्दर व्यंग और तंज करती यथार्थपूर्ण रचना ।

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  3. बहुत सुन्दर व्यंग्यात्मक सृजन ।

    जवाब देंहटाएं
  4. वाह ... सुन्दर हास्य का भाव लिए ...
    अच्छी रचना ...

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