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गुरुवार, 11 मार्च 2021

आग जला लेते हैं

चलो समोसे खा लेते हैं।
इस मन को बहला लेते हैं।
धूप नहीं आई है छत पर,
थोड़ी आग जला लेते हैं।
कहाँ अकेले जाकर घूमूँ,
सोचा तुम्हें बुला लेते हैं।
बहुत पुराना याराना है,
जब तब इसे निभा लेते हैं।
ज्यादातर पैदल चलकर हम,
पर्यावरण बचा लेते हैं।
सेहत है व्यापार हमारा,
जल में दूध मिला लेते हैं।
नाम हमारा छोटा सा है, 
तुझसे जोड़ बढ़ा लेते हैं।




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13 टिप्‍पणियां:

  1. हल्की फुलकी कामनाओं के साथ भावपूर्ण लेखन !!!

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  2. कहाँ अकेले जाकर घूमूँ,
    सोचा तुम्हें बुला लेते हैं।
    बहुत पुराना याराना है,
    जब तब इसे निभा लेते हैं।
    👌👌👌👌👌🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. रचना को ढंग से पढ़कर टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार बहन। नमन।

      हटाएं
  3. पर जल में दूध मिलाना नहीं भाया भाई 🙏😊

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहन पहले हम.दूध में पानी मिलाते थे अब पानी इतना ज्यादा होता है कि कहना पड़ा।

      हटाएं
  4. बहुत सुन्दर रचना।
    --
    महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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  5. बहुत सुन्दर,बेहतरीन भाव!

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