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शनिवार, 28 नवंबर 2020

नीरो

नीरो जिन्दा है अभी, जनता रही कराह।
आँखे पथराने लगीं, कोर हो गईं स्याह।
कोर हो गईं स्याह, हेर पथ अच्छे दिन का।
टूट गया विश्वास, हरे सावन से मन का।
वणिक, खेतिहर, छात्र, दुःखी दिखते हैं सभी।
राष्ट्रवाद ले ओट, नीरो जिन्दा है अभी।।
9198907871
विमल 

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