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शनिवार, 28 नवंबर 2020

नीरो

नीरो जिन्दा है अभी, जनता रही कराह।
आँखे पथराने लगीं, कोर हो गईं स्याह।
कोर हो गईं स्याह, हेर पथ अच्छे दिन का।
टूट गया विश्वास, हरे सावन से मन का।
वणिक, खेतिहर, छात्र, दुःखी दिखते हैं सभी।
राष्ट्रवाद ले ओट, नीरो जिन्दा है अभी।।
9198907871
विमल 

सोमवार, 16 नवंबर 2020

भूधर

हमारे पड़ोस में भूधर नाम के एक बुजुर्ग कुछ दिन पूर्व गुजर गए। उनके जीवन को देखते हुए मेरे मस्तिष्क में कुछ विचार आये। जो एक कुण्डलिया के रूप में प्रस्तुत है। मैं उनके परिवार से क्षमा प्रार्थी हूँ कि अगर उनके परिवार में किसी की भावनाएं आहत होती हों। मेरा यह उद्देश्य बिल्कुल नहीं है। मेरी समझ से हममें से अधिकतर लोगों का जीवन ऐसा ही है और हममें से बहुत से लोग भूधर हैं। तो कुण्डलिया का आनन्द लें।

भूधर भू धरकर यहीं, चले गये भुव लोक।
भू धर कर परिवार में, बढ़ा गर्व गत शोक।
बढ़ा गर्व गत शोक, हृदय की कली खिल गयी।
क्षण-क्षण की बकवास, सोंच उर मुक्ति मिल गयी।
जिस कुटुम्ब के हेत, बहुत तकलीफें सहीं।
सहते गये दुत्कार, भूधर भू धर कर यहीं।।