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सोमवार, 10 अगस्त 2020

कोरोना रे अब तो जा रे


कोरोना रे, अब तो जा रे|
जाड़े गये, फिर गर्मी आई,
तूने पाँव पसारे|
लोग-बाग़ घर भीतर घुसि गए,
तूने डेरे डारे|
बारिश जाई रही अपने घर,
अब तो तू भी जा रे|
कोरोना रे, अब तो जा रे|
मन्दिर बनि रहो मोदी कृपा से,
तुमसे रामउ हारे|
बिना दवा जन ठीक हुई रहे,
काहे छ्प्परू फारे|
लूट पाट औ' घटा नफा सब,
देखि लई हइ प्यारे|
कोरोना रे, अब तो जा रे|
घेरो चीनु संभारी फौजें,
अब राफेल रखवारे|
पर-निर्भरता छोड़के भारत,
राग स्वदेशी गा रे|
मजदूरों ने करी वापसी तुमहि,
टिकासनु डारे|
कोरोना रे, अब तो जा रे|


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7 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूब आदरणीय विमल जी !!!! कोरोना का भागना अब तय है | लोकरंग में सजकर रचना बहुत रोचक हो गयी है सादर आभार और शुभकामनाएं|

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  2. धन्यवाद बड़े भाई जय श्री कृष्ण

    जवाब देंहटाएं
  3. जय श्री कृष्णा कोराना अवश्य जाएगा
    बहुत सुंदर रचना

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