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मंगलवार, 16 जून 2020

गोरी या काली

टकले भी चाहते हैं चाँद पे प्रकाश बढ़े,
खिले मुखमंडल पे चाँदनी श्रृंगार की।
कोई नवयुवती जो हिये प्रेम धारे हो,
आये अब सँवार दे जिन्दगी उधार की।
मन के महल बीच कम्पनों का वेग बढ़ा,
चाहता हिलाना नींव, प्रीति के पहाड़ की।
यूपी को जो मिले नही, तो भी कोई बात नहीं, 
काली हो या गोरी होय, बंग या बिहार की।।

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