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मंगलवार, 25 फ़रवरी 2020

देवासुर संग्राम

जिन्हें घृणा बिखरानी जग में उन्हें घृणा बिखराने दो|
अपना उर है प्रेम खजाना लुटता है लुट जाने दो|
भले-बुरे से जग निर्मित है, साधू हैं शैतान भी हैं|
देवासुर संग्राम सतत यदि ठनते हैं ठन जाने दो||1||
रातें अनगिन झेलीं हमने कोई नई रात है क्या?
सदा म्लेच्छों टकराये कोई नई बात है क्या?
जहाँ गये नफरत फैलाई हुआ कलेजा ही पत्थर,
पत्थर उनके हाथ में होना कोई नई बात है क्या?
९१९८९०७८७१

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रविवार, 16 फ़रवरी 2020

केजरीवाल पप्पू और योगी

दिल्ली की पब्लिक प्रिये, फिर से हुई हलाल।
माल मुफ्त का हजमकर, चुना केजरीवाल।।1।।
पप्पू तब भी फेल था, पप्पू अब भी फेल।
जीरो की स्पीड पर, खिसक रही है रेल।।2।।
योगी गैंया बैल को, दिल्ली देते भेज।
और केजरीवाल का चरवा लेते खेत।।3।।