इस ब्लॉग को मैने अपने निजी विचारों को प्रस्तुत करने के लिये शुरू किया है। बहुत सम्भव है कि मेरे विचार किसी अन्य से मेल खाते हों और यह लगता हो कि वे किसी के कॉपीराइट का उल्लंघन करते हों तो कृपया मुझे अवश्य अवगत करायें। विशेष कृपा होगी।
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रविवार, 22 अप्रैल 2018
प्रेम की लौ
हो सके तो प्रेम की लौ खुद जलाइए।
यूँ नहीं इल्जाम ये हम पर लगाइए।
खत अनेकों लिख लिए हैं तेरे वास्ते।
किस पते पर भेज दूँ इतना बताइए।
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (24-04-2017) को "दुष्कर्मियों के लिए फांसी का प्रावधान हो ही गया" (चर्चा अंक-2950) (चर्चा अंक-2947) पर भी होगी। -- चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है। जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये। -- हार्दिक शुभकामनाओं के साथ। सादर...! डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (24-04-2017) को "दुष्कर्मियों के लिए फांसी का प्रावधान हो ही गया" (चर्चा अंक-2950) (चर्चा अंक-2947) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
धन्यवाद बड़े भाई
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