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रविवार, 4 दिसंबर 2016

नोट बंद

04/12/2016

अपनी अपनी खोपड़ी, अपना भूसा घास।

दुर्दिन जब भी आयेंगे, बेदम च्यवनप्राश।।1।।

नोट बंद अच्छा हुआ, बुधिया को विश्वास।

नमो राज में चोर की, मर जायेगी सास।।2।।

रंग मंच के खेल सब, दुर्बल का उपहास।

धनिकों का आनन्द है, निर्धन के हित फाँस।।3।।

एक रुपैया के लिए, मुर्गा पूरा क्लास।

वाह गुरू जी शिष्य से, अच्छा है परिहास।।4।।



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