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बुधवार, 14 दिसंबर 2016
स्वप्न
जिन्दगी धूप में नहाते हुए गयी।
रात-दिन स्वेद को बहाते हुए गयी।।
स्वप्न जो आपने दिखाने शुरू किये।
रोशनी थी आँख से छकाते हुए गयी।।
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