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सोमवार, 5 सितंबर 2016

फेसबुक 4



ये मेरी अत्यधिक छोटी छोटी कवितायेँ वे हैं जो मैंने जब तब फेसबुक पर व्यक्त कीं हैं|
10
17/01/2015
आओ अलाव जलायें।
रिश्तों की बर्फ पिघलायें।
सर्द मौसम है सर्द हैं हवाएं।
हम मुश्किलों को उनकी औकात समझाएं।
11
17/03/2015
मेरी भूख, तुम्हारी प्यास।
आओ मेंटें, मिलकर त्रास।
मेरा दिन ' तेरी रात।
सदा चलेगी इतनी बात।
12
18/03/2015
सजन तुम्हारा रूठना, फिर मेरी मनुहार।
मेरे तेरे बीच में इतना ही संसार।
तुम्हारे गुलाबी गाल पर ये kiss का कैसा निशान है।
एक होंठ मेरा और एक होंठ तेरा है।

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