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बुधवार, 27 मई 2015

कमबख्त पेड़

मुझे पतझड़ का इन्तेजार रहता है।
चाँद तो आज भी उसी खिड़की पर है।
कमबख्त पेड़ है जो उग आया है।
मेरे उसके बीच किसी दीवार की मानिंद।
@विमल कुमार शुक्ल'विमल'

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