इस ब्लॉग के अन्य पृष्ठ

कक्षा के अनुसार देखें

रविवार, 29 जून 2014

बारिश हो... तो...

मेरी टीन तुम्हारा छप्पर,
बारिश हो...तो...किसी एक पर?
छत भीगे या आँगन भीगे,
भीगे खेत महावन भीगे,
बचपन भीग बुढ़ापा भीगे,
या मस्ताना यौवन भीगे,
मेरी कार तुम्हारा ट्रैक्टर,
बारिश हो...तो...किसी एक पर?
दिन भीगें या रातें भीगें,
पर्वत भीगें खातें भीगें,
सम्प्रदाय या जातें भीगें,
जूते भीगें लातें भीगें,
मेरे गीत तुम्हारा लेक्चर,
बारिश हो...तो...किसी एक पर?

शनिवार, 7 जून 2014

प्रेम की नदी

चाहता हूँ प्रेम की नदी होना,

अल्प जीवन में समूची सदी होना,

रेत में मधुगंध की भावना जागी,

यदि मिले पारस बनूं सोना|

शुक्रवार, 6 जून 2014

हो न कुठाराघात

जनता जागी तुम भी जागो, नेतागण की जात।

पूरा बहुमत दे बनवाई हाथी की सरकार।

दलित की बेटी पत्थर जोड़ा भरा निजी भण्डार।

जनता ने जब मौका पाया बतला दी औकात।

जनता जागी ...

धरती-पुत्र को साईकिल देकर जब लखनऊ को भेजा।

आतंकी जन निर्भय साधे बेटा भाई भतीजा।

केवल पांच सांसद घर के मुट्ठी भर का भात।

जनता जागी...

मोदी तुमको जनता ने अपना सर्वस्व दिया है।

अंगद का तुम पांव बनो ऐसा विश्वास किया है।

जनता की उम्मीदें जागीं हो न कुठाराघात।

जनता जागी...