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मंगलवार, 27 दिसंबर 2011

पिहानी


प्राणों से प्यारी ये पिहानी की पवित्र भूमि,
जन्मभूमि श्याम रँग राँचे रसखान की।
कभी जो दमिश्के अवध नाम से विख्यात रही,
नहीं मोहताज है ये झूठे गुणगान की।
छाते मशहूर किसी काल में पिहानी के थे;
वीरों में प्रसिद्धि थी तेगों की शान की।
आजकल की दोषपूर्ण राजनीति से बची,
एक है पिहानी अभी हिन्दू मुसलमान की।

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