tag:blogger.com,1999:blog-714111864254278453.post301992337864344141..comments2024-03-19T14:50:10.041+05:30Comments on मेरी दुनिया: मेरे पिता जीविमल कुमार शुक्ल 'विमल'http://www.blogger.com/profile/16752757584209629034noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-714111864254278453.post-45622385987739550332021-01-19T15:33:56.117+05:302021-01-19T15:33:56.117+05:30आत्मीय ढंग से सारगर्भित टिप्पणी हेतु धन्यवाद बहन। ...आत्मीय ढंग से सारगर्भित टिप्पणी हेतु धन्यवाद बहन। उनके सीख ऐसी रही कि जीवन की आपाधापी मुझे प्रभावित नहीं करती करती।विमल कुमार शुक्ल 'विमल'https://www.blogger.com/profile/16752757584209629034noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-714111864254278453.post-30429384566874308412021-01-16T23:09:24.533+05:302021-01-16T23:09:24.533+05:30विमल भाई, आपकी ये व्यथा कथा मन को भावुक कर गई पिता...विमल भाई, आपकी ये व्यथा कथा मन को भावुक कर गई पिता का ना रहना इस जीवन की अपूर्णीय क्षति है। हम लोग बड़े भाग्य शाली हैं जिन्हे ऐसे माता पिता मिले जिन्हें व्यर्थ की औपचारिकतायें नहीं आती थी, ना उनकी आमदनी ज्यादा थी पर उन्होंने हमें ऐसा जीवन दिया जिसमें थोड़ी कमी भले रही हो बदहाली नहीं थी। उन्होंने अपने जीवन से थोड़े में कुशल प्रबन्धन और खुश रहने का हुनर सिखाया आज खुशहाली भले ज्यादा है पर लोग संतुष्ट नहीं। बहुत सहजता से लिखा आपका संस्मरण मन को छू गया। <br />सच है माता पिता अनायास हमारे भीतर ही व्याप्त हो जाते है<br />आपकी ये पंक्तियाँ बहुत ही हृदयस्पर्शी लगी मुझे<br />--------कभी-कभी मुझे लगता है वे अपना भौतिक शरीर छोड़कर आत्मिक रूप से मेरे अन्दर बस गए हैं।---------<br />पूज्य पिताजी की पुण्य स्मृति को सादर नमन 🙏🙏 रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.com