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रविवार, 29 जनवरी 2023

नवोदितों को सुझाव

एक तो बिना पूछे व्हाट्सएप ग्रुप से जोड़ लेते हो, बिना यह विचार किये हुए कि मेरे पास समय भी है कि नहीं। चलो माना मेरे पास ग्रुप छोड़ने का विकल्प है तो छोड़ दिया। मसला खत्म। 
नहीं मसला खत्म नहीं है, आप विचार करें आपने ग्रुप बनाया क्यों? अपने ग्रुप का उद्देश्य अवश्य स्पष्ट करें। अगर वाकई साहित्य और भाषा का उत्थान आपका उद्देश्य है तो प्रथम तो भाषा और साहित्य का अध्ययन और अनुशीलन स्वयं करें। नीम हकीम अस्पताल खोलें तो ठीक मेडिकल कॉलेज भी खोलकर बैठे हैं यह हजम नहीं होता। दूसरे जिन सदस्यों को जोडें उन्हें बता दें कि परिष्कृत और परिमार्जित रचनाएं प्रस्तुत करें। यदि कुछ रचनाएं अपरिष्कृत और अपरिमार्जित हैं तो एडमिन को अधिकार होना चाहिए कि वह उस रचना के सन्दर्भ में उचित सुझाव अपने सदस्य को दे। सदस्य को चाहिए कि उन सुझावों को सहृदयता से अवलोकन करे और उचित होने पर स्वीकारे। 
किसी भी लेखन को सही ठहराने से भाषा व साहित्य का उत्थान तो होने से रहा ग्रुप की गरिमा भी समाप्त होती है। 
अगर एडमिन के अलावा अन्य सदस्य कोई सुझाव दे रहा है तो अवश्य विचार करें। यह क्या बात हुई कि वाह वाह ग्रुप में कर दूँ तो लेंड़ फूल गए और जरा सी आलोचना हुई तो गाल फूल गए।प्रसंशा पटल पर चाहते और डाँट पर्सनल रूम में। यह द्वैध आचरण है इससे अन्य लोगों के सीखने का अवसर समाप्त होता है। ग्रुप में बैठकर हगोगे तो डंडे खाने का साहस भी रखो। टाइपिंग मिस्टेक, शब्दों की वर्तनी सम्बन्धी त्रुटियाँ जाने अनजाने सबसे होती हैं किन्तु बुद्धिमान लोग ऐसी पोस्ट को डिलीट कर सुधरी पोस्ट दुबारा लगा देते हैं। त्रुटि को जानकर और मानकर पोस्ट को डिलीट न करना निर्लज्जता है और अर्थ का अनर्थ होने से आपकी रचनाधर्मिता का महत्व समाप्त होता है।
नवोदितों को चाहिए वे स्वीकारें कि अभी सीख रहे हैं इससे उनकी सम्मान घटता नहीं है अपितु बढ़ता है। शिक्षार्थी कभी अपमानित नहीं होता गुरुता के दावेदार पग पग पर अपमानित होते हैं।
कुछ सामान्य त्रुटियाँ निम्नलिखित हैं नवोदित इन पर अवश्य ध्यान दें।
1- छन्द सम्बन्धी त्रुटियाँ, आजकल इन पर ध्यान नहीं दिया जाता और इनको लेकर कोई चिन्ता की बात नहीं क्योंकि छन्दमुक्त कविता का युग है।
2- विरोधाभासी विचार सम्बन्धी त्रुटियाँ, इन पर अवश्य ध्यान दें विशेषकर लम्बी कविताओं और गजलों में प्रायः नवोदित शुरुआत में जो कहते हैं अन्त में उसी बात की काट भी कर जाते हैं। इससे कवि व लेखक दिग्भ्रमित प्रतीत होता है। स्रोता अथवा पाठक को आप क्या कहना चाहते हैं। यह स्पष्ट रखें।
3- संस्कृति की अज्ञानता सम्बन्धी त्रुटियाँ, सरस्वती को शक्ति की देवी, दुर्गा को ज्ञान की देवी, शंकर को सर्जनहार, विधाता को प्रलयंकर कहना आदि। 
4- जल्दी जल्दी बहुत अधिक लिखकर तत्काल पोस्ट करना, यह बहुत बड़ी त्रुटि है एक साहित्यकार अपने समय का अमिट हस्ताक्षर होता है। आज वह जो लिखेगा वर्षों बाद वह प्रमाण रूप में स्वीकारा जाएगा अतः जो लिखें उसे कम से कम पाँच बार पढ़ने का नियम अवश्य बनायें तब पोस्ट करें। 
5- स्वयं को स्वयंभू मानने की त्रुटि, जो लिखें उसे अपने से निकटतम वरिष्ठ साहित्यकार को अवश्य सुनायें और सुझाव प्राप्त करें।
आप मुझसे सहमत हों आवश्यक नहीं किन्तु विचार अवश्य करें। इस पोस्ट में बहुत कुछ छूट गया है। थोड़ा लिखा अधिक समझना। हमारे यहाँ पत्र में लिख दिया जाता रहा है, तथावत लें।

मंगलवार, 24 जनवरी 2023

सीधी सच्ची बात

मन को माता साध दे, सत सुर के अनुरूप|
उर भावों को दे सकूं, निश्छल हो सदरूप||1||
मेरे अनुभव लाभ दें, कर दें जन कल्याण|
माता! उन पर लेखनी, पाए लय गति प्राण||2||
माता विनती एक है मेरी यह कर जोर|
अब तो आकर काट दो अहंकार की ड़ोर||3||
नेह प्रकट हो शैल से सरि धारा की भांति|
जल कण मोती सी अमर हो शब्दों की पांति||4||
बस छूते ही खींच लें उर को ध्वनि की ओर|
अलंकारमय शब्द दे, नाच उठे मन मोर||5||
जो कानों को प्रिय लगे दर्शा दे दो छंद|
माता जिन पर लेखनी पाए गति निर्द्वन्द।।6।।
सद्य प्रफुल्लित हृदय हो रसयुत होवें कर्ण|
अधरों से प्रस्फुटित हों विचरे नभ में वर्ण||7||
संध्या संध्या सी रहे रहे प्रात सम प्रात|
उलझन सुलझाती रहे सीधी सच्ची बात||8||
सरल शब्द मस्तिष्क में पनपें तव आशीष|
सेवा सत साहित्य में झुका रहे मम शीश||9||


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शनिवार, 21 जनवरी 2023

दिमाग की बत्ती जलाओ

हमारे भतीजे मोहन शैतानी में सबसे आगे| ले आये एक बल्ब उठाकर और दिखाने लगे कलाकारी आप भी देखें और मनोरंजन करें| किसी विज्ञान की खोज न करें| कोई बहुत बड़ा रहस्य नहीं है|




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यू० पी० महोत्सव से मेरा काव्यपाठ

पोस्टल ग्राउंड अलीगंज लखनऊ में जनवरी २०२३ में आयोजित यू० पी० महोत्सव २०२२ में मुह अकिंचन को भी काव्य पाठ का अवसर प्राप्त हुआ| देखें सुने मेरी कुछ कवितायें|








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गीत-वीडियो

विद्यालय में जब बच्चों ने गाना शुरू किया तो अपने को न रोक सका और रिकार्डिंग शुरू हो गई आप भी देखें व सुने|


दिल दिया है जां भी देंगे ऐ वतन तेरे लिए -आशी देवी कक्षा 9 माँ भारती विद्या मंदिर, अयारी, हरदोई




बहुत प्यार करते हैं तिरंगे से हम, आशी देवी कक्षा 9



श्याम तेरी वंशी, कीर्ति सिंह कक्षा ७ माँ भारती विद्या मंदिर





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मैया ओढ़े चुनरी औरभजन करो मस्त जवानी में बुढ़ापा किसने देखा है - मणि बाजपेयी ढोलक पर

एक छोटा बच्चा जिसकी उम्र मात्र ५ वर्ष है जब ढोलक बजाना शुरू किया तो अपने को उसको फिल्माने के लिए न रोक पाया|

भजन करो मस्त जवानी में बुढ़ापा किसने देखा है- मणि बाजपेयी ढोलक बजाते हुए



मैया ओढ़े चुनरी- मणि बाजपेयी ढोलक पर




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'माँ' सुनील जोगी

हमारे भतीजे शुभम शुक्ला को  माँ विषय पर कविवर सुनील जोगी की कविता बहुत पसंद आयी और होली मिलन समारोह के अवसर पर श्री भूरेश्वर मन्दिर भाटनटोला पिहानी में  पढ़ी गयी आप भी सुनें|




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रविवार, 15 जनवरी 2023

जैसा तैसा

मेरे बस में कुछ होता? तो ऐसा होता?
आगे चलता मैं पीछे से, पैसा होता।
हाथपैर की पटकन को ही, कर्म कहें तो,
नायक कर्मठजन का बंदर, जैसा होता।
क्यों लिखता हूँ अगर पता चल जाता प्यारे,
तो फिर सोचो मेरा लेखन कैसा होता?
तुमने आसानी से रचना लाइक कर दी,
लेकिन मुझसे लिखना जैसा तैसा होता।।