सोमवार, 15 जून 2020

जीवन के रसास्वादन का मन्त्र

कितनी विकट परिस्थिति है। हमारे पास पैसा होता है, तड़क भड़क युक्त जीवन होता है, हमारी गिनती सफल लोगों में होती है, लोग हमसे ओटोग्राफ माँगते हैं और हमारे पास समय नहीं होता है कि हम कुछ सोंचें अपने आपके बारे में अपने परिवेश के बारे में। 
किन्तु इस बुलन्द इमारत पर जब कहीं कोई हल्की भी खरोंच आती है तो इमारत गिरनी शुरू होती है और पता चलता है कि अरे जिसे हम ताजमहल समझ रहे थे वह रेत का घरौंदा निकला। हम जिन लोगों से घिरे होते हैं वे एक एक कर खिसकने शुरू होते हैं हम अकेले हो जाते हैं तब लगता है जीवन व्यर्थ गया अब इसका अंत कर लो। गलती हमारी ही है अपने चारों और घिरे स्वार्थी लोगों को देखकर हम समझते हैं कि हम महत्वपूर्ण हैं और वे सब हमारे लिए बहुत उपयोगी हैं। दरअसल हमारे चारों ओर प्रायः उन लोगों का जमावड़ा होता है जिनके लिए हम उपयोगी होते हैं जैसे ही उनके लिए हमारी उपयोगिता समाप्त होती है वे खिसक लेते हैं। हम अकेले रह जाते हैं तब आत्महत्या एक विकल्प समझ में आता है। हमें एक दो लोग भी ऐसे नहीं मिलते जो यह समझाते कि सब कुछ खोकर भी शून्य से प्रारंभ किया जा सकता है।  कोई हानि ऐसी नहीं जिसकी भरपाई न हो सके। समय बड़े से बड़े घाव को भर देता है किन्तु हम अपने कैरियर में एक व्यक्ति ऐसा नहीं जोड़ पाते जो घाव पर मरहम लगा दे। कारण हम स्वयं पैसा, पद और प्रतिष्ठा पाकर जमाने को ठोकर लगाते हैं, तो जमाना हमें लगा देता है।
हम यन्त्रवत होकर जब जब जीने की चेष्टा करेंगे, यन्त्रणा प्राप्त करेंगे, मन्त्रवत जियेंगे तो मन्त्रणा मिलेगी। क्यों प्राप्त नहीं करते जीवन के रसास्वादन का मन्त्र? क्यों तिरस्कृत कर देते हैं उन्हें जो सिखा सकते हैं यह मन्त्र। यह मन्त्र कहीं बाहर नहीं है, हमारे अंदर है। वे लोग हमारे चारों ओर हैं जो इसका ज्ञान करा सकते हैं। हम रोज सोचते हैं कौन व्यक्ति या वस्तु हमारे लिए उपयोगी है, क्या कभी सोचा है कि हम स्वयं किस व्यक्ति या वस्तु का क्या कुछ भला कर सकते हैं। अगर सोचा है तो निश्चित ही हम धनी हैं और कोई भी परिस्थिति हमारी आत्महत्या के लिए नहीं बनी है।
बहुत बार हम संसार से छल करते हुए अपने आपको हुनरमन्द समझ लेते हैं। ध्यान दें उस समय हम स्वयं को छल रहे होते हैं और अपने लिए एक ऐसा जाल बुन रहे होते हैं जो हमारे ही गले में पड़ा है और एक झटके में कस सकता है। क्यों नहीं समझ में आता शरीर को और आत्मा को शान्तिमय व आनन्दमय बनाये रखने के लिए कोठी, कार, शराब और देर रात की पार्टियाँ नहीं अपितु श्रम से उपार्जित चार रोटियों की और अच्छी नींद की जरूरत होती है। हमारे बुरे वक्त में काम आयें हमें सांत्वना प्रदान करें इसके लिए भीड़ की नहीं सिर्फ एक मित्र की आवश्यकता होती है, इसलिए आठ अरब आबादी वाली इस दुनिया में अपना आकलन डिजिटल या मैनुअल फॉलोवरों, लाइक और कमेंट्स से न करें इससे करें कि कौन एक हमारे इशारे पर बिना कोई प्रश्न किए, बिना कोई अपेक्षा किए सिर्फ 5 मिनट हमारे पास बैठता है। यह विचार करें किसने हमको पिछली बार अपनत्व के साथ गाली दी थी या थप्पड़ लगाया था यकीन मानिए वह व्यक्ति हमें निराशा से मरने नहीं देगा। वह हमें रोटी न दे पैसे न दे सम्बल अवश्य प्रदान करेगा ताकि हमारा संसार पूर्ण हो सके। मुझे प्रसन्नता है निजी तौर पर मुझे अपनी सद्भावनाओं के कन्धे पर उठाये रखने वाले स्वजन, परिजन और मित्रजन मेरे साथ हैं। हाँ यह हो सकता है वे अभिजन न हों, अभिजन मैं भी नहीं।
विमल 9198907871

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