करना है सम्मान मनुज का,
सन्तानों को बता न पाया।
निज चरित्र की रक्षा के गुर,
क्या देता निज बचा न पाया।
जब अपने ही लोगों से है,
लुटने लगा कारवाँ अपना।
तब मंजिल का तय हो जाना,
कोरा कोरा कोरा सपना।
उम्रकैद फाँसी या जीवन,
सारा कुछ तो नर्क सरीखा।
जब मानव ने मानव जैसा,
मानव के हित कर्म न सीखा।
माँ बहनें तो माँ बहनें हैं,
स्वयं न सीखा सिखा न पाया।
कुत्तों सा आचरण कर रहा,
मनुज तनिक भी नहीं लजाया।
ऊपर से यह प्रगतिशीलता,
का तुर्रा दिखलाते जाता।
लेकिन अंदर हुआ जंगली,
आदिकाल में धँसता जाता।
नर पिशाच सा नग्न नाचता,
नई सभ्यता का आडम्बर।
लेकिन सच है हुआ अमानुष,
डोल रहा है धरती अम्बर।
देवभूमि में जन्म लिया पर,
देवों को अपमानित करता।
शीलहरण कर परनारी का,
माँ की कोख कलंकित करता।
समझ नहीं आता ऐसा नर,
क्यों मनुष्य की गणना पाए।
कोशिश करिये नर पिशाच यूँ,
आसपास भी रह ना पाए।।
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मंगलवार, 10 दिसंबर 2019
नर पिशाच
रविवार, 8 दिसंबर 2019
दिल्ली अग्निकांड
दिल्ली से जो दिल दहला देने वाला समाचार आया है कि अग्निकांड में 43 लोगों की मृत्यु हो गई है व दो दिन पीछे से जो देश के विभिन्न स्थानों से रेप व रेप पीड़िताओं की मृत्यु आदि के समाचार आ रहे हैं पढ़ सुनकर ऐसा लग रहा है जैसे हम अपने चारों ओर जलती हुई आग से घिरे हैं। तन-मन अशान्त है और दूर तक कोई इलाज नजर नहीं आता।
लापरवाही की एक सीमा होती है जब लापरवाही की पराकाष्ठा हो तो अपराध बन जाती है। ऐसे अपराध हमें चारों ओर से गिरफ्त में इस प्रकार कसे हुए हैं कि हम हिल भी नहीं पा रहे हैं।
ईश्वर भी लगता है जैसे निरुपाय हो गया है।
मेरा बच्चा पूछ रहा था आखिर इतनी तंग जगह में फैक्ट्री की अनुमति मिली कैसे तो जाहिर सी बात है भ्रष्टाचार। आप pwd के ऑफिस में जाइये तो वहाँ बिना किसी निरीक्षण के ही नेशनल बिल्डिंग कोड के सर्टिफिकेट मिल जाते हैं और इसी प्रकार अग्निशमन विभाग से अग्निरोधी व्यवस्था का प्रमाण पत्र। बस पैसे पकड़ाओ। आप कितने भी सही हों बिना चढ़ावा काम नहीं होता। फिर कोई क्यों ठीक ठाक व्यवस्था करे सुरक्षा की। होना तो यह चाहिए ऐसी दुर्घटनाओं के लिए सभी को दण्डित करना चाहिए। अनुमति देने वाले अधिकारियों व noc जारी करने वाले अधिकारियों सहित किसी को नहीं छोड़ा जाना चाहिए। होता है यह है ऐसे मामलों में सबसे कमजोर को बलि का बकरा बनाकर भेड़ियों को बचा लिया जाता है और सब कुछ सामान्य की तरह चलने लगता है जब तक कि फिर से कोई बड़ी दुर्घटना न हो जाए।