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शुक्रवार, 20 सितंबर 2019

पक्का झूठ

देख लेंगे हम भी जालिम का सितम।
किन्तु पक्का झूठ तो बोला न जायेगा।
मानता हूँ फूस दामन में लिए हूँ मैं,
किन्तु क्या बाजार में तोला न जायेगा।।
दे दिया खाली लिफाफा ही मुझे,
सामने सबके इसे खोला न जायेगा|
खूब की बेइज्जती इन मॉल वालों ने,
कह दिया के मॉल में झोला न जायेगा|
विमल 9198907871

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रविवार, 8 सितंबर 2019

खिड़की पर

अब भी कोई बहाना कर ले।
घर में आना-जाना कर ले।
खिड़की पर वो आ जायेगी,
खुद को कुछ दीवाना कर ले।।

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चाँद रहेगा

कुछ दिन चाँद रहेगा प्यारे, कवियों की कविताओं में।
एक राष्ट्रनायक का चमचम, कुंजों और लताओं में।
हार-जीत के चर्चे होंगे, टीवी या अखबारों में।
चाहें खुशियाँ चाहें गम हों, रौनक होगी बारों में।
अपने-अपने ढंग से सारे, लगे हुए हैं वाचन में,
लेकिन तय है अपना जलवा, कायम रहा सितारों में।
शंका हो क्या आर्यभट्ट वाराहमिहिर श्रीधर में,
आओ चलकर पूँछे हमसब, चौबिस अवतारों में।



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शनिवार, 7 सितंबर 2019

हमसे तुम मिल लिए, तुमसे हम मिल लिए


प्रीति का व्याकरण बाँचने के लिए।
हमसे तुम मिल लिये, तुमसे हम मिल लिये।।
दीप तुमने छुए, वे सभी जल गए।
रोप तुमने दिए, पुष्प सब खिल गए।
तुमने देखा जिन्हें, वे भँवर मिट गए।
बन्ध तन-मन के सब, एक क्षण खुल गए।
दस दिशायें जपें, प्रेम की रागिनी,
राग-अन्तःकरण, जाँचने के लिए।
हमसे तुम मिल लिये, तुमसे हम मिल लिये।।
मेल होना प्रिये, नव सृजन की सुबह।
अन्यथा पन्थ में, बस कलह ही कलह।
प्रेम के सूत्र में, ग्रन्थियों की जगह,
पुष्प जैसे किए, कंटकों से सुलह।
मैं गगन हो गया, तुम सितारा बने,
एक संसार को साधने के लिए।।
हमसे तुम मिल लिए, तुमसे हम मिल लिए।।
वीथिका-वीथिका, गीत-गाये गए,
कथ्य में भावना से नहाये हुए,
मंच पर प्रेम के स्वांग होते रहे,
लोभ लालित्य में जन लुभाये गए।
सब भ्रमों से परे नव-सृजन में रमे,
तम घने में सतत जागने के लिए।।
हमसे तुम मिल लिए, तुमसे हम मिल लिए।।


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