गुरुवार, 13 दिसंबर 2018

पन्द्रह लाख


मन्दिर बन पाया नहीं, मिले न पन्द्रह लाख।
मतदाता ने भी रखा, बीजेपी को ताख।।
नए नोट की चमक सा, फीका हुआ प्रभाव।
मतदाता सहलायेगा, कब तक अपने घाव।।
भूल गए सब वायदे, सबका किया विकास।
सबसे अधिक सवर्ण का, शासन में उपहास।।

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