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रविवार, 30 दिसंबर 2018

जागा भाग्य ऐ! बाले

1. अब सुबह क्या बात होगी?
ये सुबह होगी न होगी?
आ अभी अनुराग कर लें।
आ परस्पर अंक भर लें।

2. कल से तुम गुलाबी हो,
किस पर जाल फैलाया।
किसके तृषित अधरों का,
जागा भाग्य ऐ! बाले।

3. माना झूठ है मेरी,
कविता भी कहानी भी।
ये ही तो बहाना था,
मेरे पास तुम आये।

4. बाहर ठंड है बेशक,
रिश्ते गर्म हैं लेकिन।
आओ पास बैठें तो,
पिघले बर्फ थोड़ी सी।

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गुरुवार, 13 दिसंबर 2018

पन्द्रह लाख


मन्दिर बन पाया नहीं, मिले न पन्द्रह लाख।
मतदाता ने भी रखा, बीजेपी को ताख।।
नए नोट की चमक सा, फीका हुआ प्रभाव।
मतदाता सहलायेगा, कब तक अपने घाव।।
भूल गए सब वायदे, सबका किया विकास।
सबसे अधिक सवर्ण का, शासन में उपहास।।

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