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बुधवार, 28 फ़रवरी 2018

होली खेल जाये

काश मय के साथ,
पैमाना नाच उठे,
और उड़ेल दे चारों ओर,
बसंत की मादकता,
और भुला दे कि आप,
कुछ और नहीं इसी फागुनी पवन के,
अंश हैं|
अर्धांगिनी,
मोहिनी नजर आये,
वो जिसने,
वैलेंटाइन पर उपहार,
न स्वीकारा हो,
आपके साथ होली खेल जाये|
ऐसी विमल भावना के साथ विमल की विमल शुभकामनाएँ जिनमें आप अपनी इच्छा से कोई भी रंग मिलाने के लिए स्वतंत्र हों|



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गुरुवार, 22 फ़रवरी 2018

पर्स

कल सभी को मुफ्त में पर्स बाँटे जायेंगे।
हाथ फैलाना सम्भलकर हाथ काटे जायेंगे।
क्या हुआ नाराज हो तो बन्धु ये बतलाइये,
पर्स बनवाने के हित चमड़ा कहाँ से लायेंगे।

बुधवार, 14 फ़रवरी 2018

समद्विबाहु त्रिभुज



समद्विबाहु त्रिभुज:- 
जिस त्रिभुज की दो भुजाएं बराबर हों समद्विबाहु त्रिभुज होता है|

समद्विबाहु त्रिभुज का क्षेत्रफल:- 
यदि दो समान भुजाओं की लम्बाई a हो तथा तीसरी भुजा की लम्बाई b हो तो समद्विबाहु त्रिभुज का क्षेत्रफल निम्नलिखित सूत्र से प्राप्त कर सकते हैं|







सूत्र की व्युत्पत्ति :- 














माना समद्विबाहु त्रिभुज abc चित्रानुसार है| 
जिसमें दो समान भुजाओं AB व AC की लम्बाई a व 
तीसरी असमान भुजा BC की लम्बाई b है| अब त्रिभुज के क्षेत्रफल के सूत्र














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बुधवार, 7 फ़रवरी 2018

सुनामी

कली यदि देखकर भँवरे को मुस्काई नहीं होती|
समन्दर में सुनामी की लहर आई नहीं होती||
मुझे क्या गर्ज थी बाँहों में उसको भर लिया मैंने,
अगर द्वारे की साँकल उसने खटकाई नहीं होती||



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शनिवार, 3 फ़रवरी 2018

अहमदनगर



वर्तमान में यह महाराष्ट्र में है| मध्यकाल में यह निजाम शाही सुल्तानों की राजधानी रहा| इस नगर की स्थापना निजामशाही वंश के प्रथम शासक अहमद निजामशाह ने की थी| 1600 ई0 में यह मुगलों के कब्जे में आया| यहाँ की प्रमुख इमारतों में अहमदनगर का किला, बाग़-ए-रोजा, बाग़-ए-बहिरत, कोटला मस्जिद व तोर्रा बीबी मस्जिद प्रमुख है| अहमदनगर के प्रसिद्ध चित्रों में एक चित्र 1591 में बना हिंडोल राग है| 




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मसुलीपट्टम


यह स्थल तमिलनाडु राज्य में कृष्णा नदी के मुहाने पर स्थित बन्दरगाह था| यह 17 वीं सदी में अपने उत्कर्ष पर था| 1611 में ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने यहाँ अपनी फैक्ट्री लगाई थी| 1632 में गोलकुंडा के शासक ने ईस्ट इण्डिया कम्पनी को व्यापार करने के लिए ‘सुनहला फरमान’ जारी गया| 1686 में डच, 1690 में अंग्रेज, 1750 में फ़्रांस 1750 में ही पुनः अंग्रेजों ने इस पर अधिकार कर लिया| इस बन्दरगाह से सूती वस्त्र, गलीचे एवं धागे का निर्यात किया जाता था|



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