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बुधवार, 30 सितंबर 2015

एक वो है



बन्दा चाँद पर गया है,
वहाँ काम चल रहा है।
किसी मुमताज का ताजमहल,
बन रहा है।
एक वो है जो दोनों जहाँ संभाले है,
मेरा दम तो,
जमीन पर ही निकल रहा है।

भौतिक विकास



एक चीज ही चुन पाओगे गन्ना गुड़ या शक्कर में।
थोड़ा बहुत छोड़ना होगा कुछ पाने के चक्कर में।
चाहे जितनी सेना हो उसके मुस्तैद सिपाही हों।
थोड़ी बहुत हानि निश्चित है भले विजय हो टक्कर में।
शाखें कटीं परिंदे रूठे  सूनी है आकाश धरा,
अवगुण बहुत भयानक हैं भौतिक विकास के अस्तर में।